
अब देखs बाबू, बिहार में लोकतंत्र के हाल त अइसन हो गइल बा कि जेकरा से निष्पक्षता के उम्मीद रहऽ, उहे अब गोदी में बैठल दिख रहल ह। तेजस्वी यादव त सीधे बोल देलन कि “ई आयोग अब संविधान के रक्षक ना, बल्कि मोदी जी के चौकीदार बन गइल ह।” आउर त आउर, जब ऊ आयोग से मुलाकात के टाइम मांगलन, त चुनाव आयोग त अइसन चुप्पी साध लेलs, जइसे एगो पति मायके से सासु के फोन आ जाए।
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“मतदाता सूची में ‘कट-कट’ खेल शुरू बा”
तेजस्वी जी के आरोप बा कि वोटर लिस्ट से नाम काटल जा रहल ह, ठीक ओही तरीका से जइसे शादी में साला के नाम से लिफाफा गायब हो जाए। मतदाता के नाम गायब, लोकतंत्र के नाम लाचार। ई कवन साजिश ह भाय? मतदाता सूची के संक्षिप्त पुनरीक्षण के नाम पर लोकतंत्र के बोरिया-बिस्तर समेटल जा रहल ह।
“आयोग मिस्टर इंडिया बन गइल ह”
तेजस्वी पूछ रहलन – “चुनाव आयुक्त कहां बा? ना प्रेस कॉन्फ्रेंस, ना बयान, ना प्रतिक्रिया। इ हमनी के आयुक्त ह कि मिस्टर इंडिया के छोटका भैया?” अब देखी, जब जेबी आयुक्त रह जइहें, त जनता कोर्ट-कचहरी ना जाई, सीधे ट्विटर स्पेस में दरख़ास्त लगाई।
“राष्ट्रपति शासन के ट्रेलर रिलीज त नइखे हो रहल?”
अब सच्चाई त ई बा कि पूरा प्लॉट स्क्रिप्टेड लग रहल ह। मतदाता हटावा, आयोग चुप्पी, सरकार मौन। तेजस्वी त खुल के बोल देलन – “राष्ट्रपति शासन के झलकिया देखाई दे रहल ह।” अगर एही तरीका से चले के बा त 2025 में चुनाव ना, सीधा स्क्रिप्ट राइटर के IIFA अवार्ड दे देबs।
“एगो जनता, दो एजेंसी, तीन दावे – और लोकतंत्र हलकान”
चुनाव आयोग कहे कि “हम निष्पक्ष बानी”, भाजपा बोले “सब ठीक बा”, आउर विपक्ष चिल्लाए कि “लोकतंत्र खतरे में बा!” इ त ओही कहानी जइसन हो गइल – जहाँ घरवाली बोले “खाना खा लs”, माँ बोले “रुक जा बेटा”, आउर पत्नी के मामा बोले “एगो प्लेट हमरा ला भी लगाईं”।
“ई त हमनी के संविधान के अनुवाद ना, तर्जुमा हो रहल ह!”
जब चुनाव आयोग निष्पक्ष रहे के बजाय मैनेजमेंट में लग जाई, त जनता के भरोसा डोल जाला। तेजस्वी त बोले देलन कि “ई वोट ना, लोकतंत्र के मुआयना हो रहल ह।”
आउर बाबू, जब वोटर लिस्ट से नाम कट जाई, त फिर ‘वोटर आईडी’ त फालतू के पन्ना हो जाई, जेकरा से अब मोबाइल रिचार्ज भी नइखे होखत।
“जनता अब मूड में बा – या त वोट से जवाब मिली, ना त सोशल मीडिया से तूफान”
अब देखs, जनता खामोश बा लेकिन फाइनल में वोट से सारा नाटक के परदा उठे वाला बा। 2025 में वोटर तय करी कि लोकतंत्र के असली मालिक के हउअन – जनता, आयोग, कि कोचिंग सेंटर?
बिहार में लोकतंत्र अभी ICU में बा, डॉक्टर तेजस्वी जांच में बाड़न, आउर आयोग बगल के बेड पर मरीज बन के चुपचाप लेटल बा।
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